""" लिपट तिरंगे जो घर वो आये """
लिपट तिरंगे जो घर वो आये -
गमगीन उनका आशियानां था -
हर कोई था, सहमा - सहमा -
हर कोई इस गम से अंजाना था -
हुआ, क्या क्यों और कैसे -
ये सवाल हर मन में आना था -
लिपट तिरंगे जो घर वो आये -
गमगीन उनका आशियानां था -
रो रहा था आसमां, रो रहा था आसमां -
रोना तो हर शक्स को आना था -
एक तरफ था, गर्व उनपर,
एक तरफ सब कुछ हमारा लुट जाना था -
किसी का भाई आज दूर उनसे हो जाना था -
किसी का प्यारा लाल आज दूर उनसे हो जाना था -
किसी का बेटा, किसी का भाई, हर किसी का कुछ लुट जाना था -
किसी का कुछ तो किसी का कुछ, किसी का तो सब कुछ लुट जाना था -
हुआ वही जो हुआ ओरो संग,
किसी का कुछ तो किसी का कुछ, किसी का सब कुछ लुट जाना था -
लिपट तिरंगे जो घर वो आये -
गमगीन उनका आशियानां था -
सुल्तान सिंह * जसरासर *
०७७४२९०४१४१