सुल्तान राठौर "" जसरासर""

सुल्तान राठौर  "" जसरासर""

Friday 11 March 2011

"""" लिपट तिरंगे जो घर वो आये """




"""  लिपट   तिरंगे   जो   घर  वो  आये  """



लिपट तिरंगे  जो घर वो आये -
गमगीन उनका आशियानां था -

हर कोई था, सहमा - सहमा -
हर कोई इस गम से अंजाना था -

हुआ, क्या क्यों और कैसे - 
ये सवाल हर मन में आना था -


लिपट तिरंगे  जो घर वो आये -
गमगीन उनका आशियानां था -

रो रहा था आसमां,  रो रहा था आसमां - 
रोना तो हर शक्स को आना था - 

एक तरफ था, गर्व उनपर, 
एक तरफ सब कुछ हमारा लुट जाना  था

किसी का भाई आज दूर उनसे हो जाना था - 
किसी का प्यारा लाल आज दूर उनसे हो जाना था - 

किसी का बेटा, किसी का भाई, हर किसी का कुछ लुट जाना था - 
किसी का कुछ तो किसी का कुछ, किसी का तो सब कुछ लुट जाना था - 

हुआ वही जो हुआ ओरो संग, 
किसी का कुछ  तो किसी का कुछ, किसी का सब कुछ लुट जाना था -

लिपट तिरंगे  जो घर वो आये -
गमगीन उनका आशियानां था -



सुल्तान  सिंह * जसरासर  * 
०७७४२९०४१४१












Tuesday 8 March 2011





^^ दिल की बात जुबा तक आई ^^^


दिल की बात जुबा तक आई, संग अपने एक सपना लाइ 
सपने में था दर्द भरा, दर्द भरी वो कहानी याद आई 

तब आंसूओ का सैलाब उमडा, एक सपनो की कहानी याद आई 
कुछ सपने अपने देते है, कुछ सपने सपने देते है 

कुछ दर्द सपने देते है, कुछ दर्द उनके सपने देते है 
कुछ अपने सपने देते है, कुछ अपने सपनो का वादा देते है 

कुछ दिए वादों को, कुछ सपनो को भुला देते है
किसी ने भुला डाला हमे इस कदर, 
जैसे सावन के बाद लोग बारिश को भुला देते है, 


                                                          लेखक :-  सुल्तान सिंह " जसरासर" 




Sunday 6 March 2011








"" मेरे गुरुवार ने कहा था "" 



मेरे गुरुवर ने कहा था, जिंदगी एक तुफा है 
कभी छोटे कभी बड़े तुफा इसमें आते चले जायेंगे 

बस तुम तुफानो से लड़ते रहना 
में रहू ना  रहू तुम तुफानो से लड़ते रहना 

तुफा खुद गले से लगा लेंगे तुम्हे अपना समझकर 
बस तुम तुफानो से लड़ते रहना 

लोग देते है बद्दुआ, मगर वो तुम्हे खुशी देंगे
उनसे लड़ लेने के बाद, बस तुम तुफानो से लड़ते रहना

रुकना मत - रुकना मत, किसी एक तुफा से लड़ लेने के बाद 

जिंदगी तुम्हे और भी तुफा देती चली जायेगी, हर एक तुफा से लड़ लेने के बाद 
बस तुम तुफानो से लड़ते रहना 

मंजिलों को खुद ब खुद अपने सामने पाओगे 
तुफानो से लड़ लेने के बाद 

में रहू न रहू, तुम तुफानो से लड़ते रहना 
बस तुम तुफानो से लड़ते रहना 
                                 
 

                                                                                                  लेखक :-     सुल्तान सिंह "" जसरासर ""    
                                                                                                                           m- 07742904141      
                                                                                                     

Thursday 3 March 2011

""" जग में आके जाना हमने जग वालो का भेद निराला """"



""" सुल्तान राठौर """ जसरासर """ 


"""" जग में आके जाना हमने जग वालो का भेद निराला """" 



जग में आके जाना हमने जग वालो का भेद निराला 
अरे जग में आके जाना हमने जग वालो का भेद निराला 

ऊपर से है चेहरा गोरा अंदर से दिल गहरा काला 
जग में आके जाना हमने जग वालो का भेद निराला 

जब तक रहे मतलब किसी से उसे सर पर बिठाये फिरते है 
जो मतलब निकल गया तो फिर पदचिह्न भी नहीं दिखाई देते है

कहते है ये तन मन धन तेरा ही तो है सब यारा
जो आई मुसीबत तो पता चला कोन है तेरा किसको है तू प्यारा 

जग में आके जाना हमने जग वालो का भेद निराला 
ऊपर से है चेहरा गोरा अंदर से दिल गहरा काला 

महफ़िल में कई बार लोगो को, सचाई का दम भरते देखा है 
में हू सचा में हू अच्छा, ये कहते मैंने देखा है 

फिर मैंने ही उन लोगो को कालेपन् की छाप छोड़ते देखा है 
कहते है जो में  सबसे सच्चा, सबसे झूठापन् भी मैंने उनमे देखा है 

जग में आके जाना  हमने जग वालो का भेद निराला 
ऊपर से है चेहरा गोरा अंदर से दिल गहरा काला 

वक्त है ऐसा पता चले ना, कोन है गोरा कोन है  काला 
जितना बड़ा देखा है किसी को अंदर से उतना ही काला 

जग में आके जाना हमने जग वालो का भेद निराला 
ऊपर से है चेहरा गोरा अंदर से दिल गहरा काला 

चारो तरफ में देख उन्ही को, चारो तरफ में देख उन्ही को 
पी जाता हू ज़हर का प्याला, 

जग में आके जाना हमने जग वालो का भेद निराला 
ऊपर से है चेहरा गोरा अंदर से दिल गहरा काला 


लेखक :-  सुल्तान राठौर  """  जसरासर """ 
  ०७७४०९०४१४१ 

""" कही सफर में जो गिर पड़े तो याद आएगी तुम्हे हमारी """"



                                                         सुल्तान सिंह राठौर "" जसरासर "" 

सुल्तान राठौर "" जसरासर "" 


""" कही सफर में जो गिर पड़े तो """ 

कही सफर में जो गिर पड़े तो, याद आएगी तुम्हे हमारी 
कभी जो आंशु निकल पड़े तो, याद आएगी तुम्हे हमारी 

कभी दूर हम निकल पड़े तो, याद आएगी तुम्हे हमारी 
छोड दुनिया हम निकल पड़े तो, याद आएगी तुम्हे हमारी 

अभी दूर हो तुम्हे पता नहीं, पता नहीं है हकीकत हमारी 
पास आये तो जान जाओगे, जान जाओगे महोब्बत हमारी, 

कही सफर में जो गिर पड़े तो, याद आएगी तुम्हे हमारी 
कभी जो आंशु निकल पड़े तो, याद आएगी तुम्हे हमारी 

आज हो तुम भरी महफ़िल में, आभी कहा जरुरत तुम्हे हमारी 
जो तन्हा पड़ोगे तो फिर रो पड़ोगे, तब याद आएगी महोब्बत हमारी, 

अभी जरा हो तुम अँधेरे में, जो हुआ सवेरा तो आएगी याद हमारी 
सफर जिंदगी का बड़ा सुहाना, सुहानी यादे आएँगी तुम्हे हमारी 

बेसक भूल जाओ तुम, भूलने का गम नहीं
भूल कर भी कभी कभी, याद आएगी तुम्हे हमारी 

हम चाहे कभी छोड़ दे दुनिया, याद आएगी तुम्हे हमारी 
बहुत कठिन है सफर जिंदगी का, पड़ी मुश्किल तो आएगी याद हमारी

कही सफर में जो गिर पड़े तो, याद आएगी तुम्हे हमारी 
कभी जो आंशु निकल पड़े तो, याद आएगी तुम्हे हमारी 


लेखक :- सुल्तान सिंह "" जसरासर "" 
m- 07742904141