सुल्तान राठौर "" जसरासर""

सुल्तान राठौर  "" जसरासर""

Tuesday 8 March 2011





^^ दिल की बात जुबा तक आई ^^^


दिल की बात जुबा तक आई, संग अपने एक सपना लाइ 
सपने में था दर्द भरा, दर्द भरी वो कहानी याद आई 

तब आंसूओ का सैलाब उमडा, एक सपनो की कहानी याद आई 
कुछ सपने अपने देते है, कुछ सपने सपने देते है 

कुछ दर्द सपने देते है, कुछ दर्द उनके सपने देते है 
कुछ अपने सपने देते है, कुछ अपने सपनो का वादा देते है 

कुछ दिए वादों को, कुछ सपनो को भुला देते है
किसी ने भुला डाला हमे इस कदर, 
जैसे सावन के बाद लोग बारिश को भुला देते है, 


                                                          लेखक :-  सुल्तान सिंह " जसरासर" 




4 comments:

  1. कुछ दिए वादों को, कुछ सपनो को भुला देते है
    किसी ने भुला डाला हमे इस कदर,
    जैसे सावन के बाद लोग बारिश को भुला देते है...
    वाह सुलतान, बहुत-बहुत उम्दा.....क्या बात है......बहुत अच्छा लिखा है आपने...

    ReplyDelete
  2. रोली जी, आपका बहुत बहुत आभार इतना अच्छा तो नहीं
    लिखता हू जितनी आप मेरी प्रशंसा रही है,
    फिर भी कुछ कोशिश कार लेता हू, अपनी तरफ से,
    सुल्तान राठोर

    ReplyDelete
  3. bahut sandar h.................

    ReplyDelete